किमोठा (चमोली ) में स्व केशवा नन्द किमोठी की तिबारी खोली युक्त मकान में ’काठ लछ्याणौ , कुर्याणौ पाड़ी ब्यूंत‘ की काष्ठ कला अलंकरण अंकन, नक्काशी
गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , खोली , मोरी , कोटि बनाल )में ’काठ लछ्याणौ , कुर्याणौ पाड़ी ब्यूंत’ की काष्ठ कला अलंकरण अंकन, नक्काशी-262
House Wood Carving Art from Kimotha , Chamoli
(अलंकरण व कला पर केंद्रित )
संकलन – भीष्म कुकरेती
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चमोली व रुद्रप्रयाग गढवाल में तिबारियों , खोलियों की अच्छी खासी सूचनाएं मिली हैं . इसी क्रम में आज किमोठा गाँव के गढवाली कवि श्री गोकुला नन्द किमोठी के पिता स्व केशवा नन्द किमोठी द्वारा 92 वर्ष पहले निर्मित तिबारी युक्त मकान में काठ लछ्याणौ , कुर्याणौ पाड़ी ब्यूंत’ की काष्ठ कला पर चर्चा होगी . किमोठा (चमोली ) में स्व केशवा नन्द किमोठी का मकान दुपुर व दुघर (दुखंड /तिभित्या) है . किमोठा (चमोली ) में स्व केशवा नन्द किमोठी के मकान में काष्ठ कला समझने हेतु दो मुख्य बिंदुओं में टक्क लगानी आवश्यक है – तल मंजिल में खोली व पहली मंजिल में तिबारी . मकान की संरचना से पता लगना सरल है कि मकान का तल मंजिल भंडार व गौशाला रूप में उपयोग होती रही होगी . खिड़कियाँ बड़ी हैं व खिडकियों के उपर मेहराब बने हैं जो द्योतक हैं कि मकान निर्माण में ब्रिटिश भवन निर्माण शैली (colonial design ) का प्रभाव पडा है .
तल मंजिल में खोली खुबसूर व कला परिपूर्ण है . खोली के दोनों ओर कलायुक्त सिंगाड़/स्तम्भ हैं मुख्य स्तम्भ चार उप स्तम्भों के युग्म /जोड़ से बने हैं . स्तम्भ सीधे हैं व कमल निर्मित कुम्भी आकृतियाँ किमोठा (चमोली ) में स्व केशवा नन्द किमोठी निर्केमित मकान की खोली में दृष्टिगोचर नही होता है जो सामान्यतया गढवाल -कुमाऊं की खोलियों में मिलता है . उप्स्त्मभों में पर्ण -लता (बेल बूटों ) का अंकन हुआ है . सभी उप स्तम्भ उपर जाकर मुरिंड के स्तर बन जाते हैं तथा मुरिंड के स्तरों में व्ही पर्ण लता अंकन है जो नीचे स्तम्भों में है . . मुरिंड चौखट आकार का है . मुरिंड के मध्य गणपति स्तम्भ -मेहराब युक्त चौखट के अंदर विराजमान है . चौखट के स्तम्भि के अधर में कमल कुम्भी है फिर उपर ड्यूल है फिर कमल दल हा व बाद में स्तम्भ उपर चला जाते हैं व दोनों स्तम्भों के उपर मेहराब है .मेहराब के स्कन्ध में विचित्र फूलों की नक्काशी हुयी है . चौखट के अंदर चतुर्भुज गणपति है . उपर के एक हाथ में त्रिशूल अंकुश है व दूसरे हाथ में विचित्र गदा है , गणपति की मूर्ति महीन कलायुक्त छत्र भी है .
किमोठा (चमोली ) में स्व केशवा नन्द किमोठी के मकान में पहली मंजिल में तिबारी स्थापित है . तिबारी चार सिंगाडों /स्तम्भों व तीन ख्वालों से निर्मित है . प्रत्येक स्तम्भ देहरी पर खड़ा है व स्तम्भ के आधार में उल्टेकमल फूल से कुम्भी बनी है , कुम्भी के उपर ड्यूल है ड्यूल के उपर सीधा कमल फूल है व यहाँ से स्तम्भ लौकी शक्ल लेकर उपर चलता है . जहाँ स्तम्भ की मोटाई सबसे कम है वहां पर तीन ड्यूल हैं व उपर सीधा कमल फूल अंकन है . कमल फूल से स्तम्भ दो भागों में विभक्त होता है मुरिंड के ओर जाने वाला भाग थांत रूप में मुरिंड (शीर्ष ) से मिलता है व कमल फूल से मेहराब का अर्ध चाप भी शुरू होता है . मेहराब बिन दांते है . मेहराब के स्कन्ध में नक्काशी हुयी है . मुरिंड की कड़ीयों प्राकृतिक से अधिक ज्यामितीय कला दर्शन होते हैं . स्तम्भ में आधार से लेकर उपर मुरिंड में उभार – गड्ढे (fluet -flitted ) अकन हुआ है .
खोली के मुरिंड के नीचे स्दोतम्नोंभों के तरफ पत्थर की दिवालगीर है जिस पर हाथी , पुष्प नाभि व पक्षी प्रतिमाएं स्थापित हैं .
बाकी क्षेत्रों में जैसे कमरों , ख्द्कियों के दरवाजों , स्तम्भों में ज्यामितीय कटान ही हुआ है .
निष्कर्ष निकलता है कि किमोठा (चमोली ) में स्व केशवा नन्द किमोठी के मकान में लकड़ी पर ज्यामितीय, प्राकृतिक व मानवीय अलंकरण अंकन हुआ है . मकान भव्य किस्म का है .
सूचना व फोटो आभार: ब्रज मोहन किमोठी
यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत संबंधी . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: वस्तुस्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
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गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , मोरी , खोली, कोटि बनाल ) काष्ठ कला अंकन , लकड़ी नक्काशी श्रंखला जारी
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