थाती परकंडी ( उखीमठ , रुद्रप्रयाग ) में मालगुजार स्व . यशवंत सिंह भंडारी के भवन, में तिबारी व खोली काष्ठ कला अलंकरण अंकन, लकड़ी नक्काशी
Traditional House wood Carving Art of Parkandi , Rudraprayag
गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , खोली , छाज कोटि बनाल ) ’काठ लछ्याणौ , कुर्याणौ पाड़ी ब्यूंत’ की काष्ठ कला अलंकरण अंकन, लकड़ी नक्काशी- 290
संकलन – भीष्म कुकरेती
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तिबारी , खोलियों , निम दारियों , जंगलेदार मकानों के संबंध में रुद्रप्रयाग भाग्यशाली जनपद है जहां भिन्न भिन्नप्रकार व चित्ताकर्षक कला युक्त मकानों की प्रत्येक दिन सूचना आती ही रहती है। इसी क्रम में आज थाती परकंडी ( उखीमठ , रुद्रप्रयाग ) में मालगुजार स्व . यशवंत सिंह भंडारी के भवन में काष्ठ तिबारी व खोली में काष्ठ कला अलंकरण अंकन, लकड़ी नक्काशी पर चर्चा होगी। थाती परकंडी एक कृषि समृद्ध गाँव है जिसके बारे में कहावत है कि परकंडी में पत्थर म बि ल्यासण जामदो। अत: यहाँ तिबारीयुक्त व नक्काशीदार खोलियों का होना साधारण घटना मानी जाएगी।
थाती परकंडी ( उखीमठ , रुद्रप्रयाग ) में मालगुजार स्व . यशवंत सिंह भंडारी का भवन दुपुर व दुघर है।
थाती परकंडी ( उखीमठ , रुद्रप्रयाग ) में मालगुजार स्व . यशवंत सिंह भंडारी के भवन में काष्ठ कला समझने हेतु भवन की तिबारी व खोली (आंतरिक मार्ग का प्रवेश द्वार ) पर टक्क लगाना आवश्यक है। खोली के दोनों और मुख्य काष्ठ सिंगाड़ /स्तम्भ हैं जो उप स्तम्भों के युग्म /जोड़ से निर्मित हैं। प्रत्येक उप स्तम्भ के आधार में कुम्भी रूप में उल्टे कमल दल है फिर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प अंकित है। यहां से उप स्तम्भ सीधे ऊपर जाकर खोली के मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष का स्तर बन जाते हैं।
खोली में मुरिन्ड के अगल बगल में ऊपर से छप्परिका से लकड़ी के दो दो दीवालगीर (bracket ) निर्मित हैं। दीवालगीर के निम्न भाग में पुष्प केशर नाभिका व चिड़िया रूप अंकित हैं। ऊपरी भाग में हाथी स्थित हैं।
थाती परकंडी ( उखीमठ , रुद्रप्रयाग ) में मालगुजार स्व . यशवंत सिंह भंडारी के भवन की तिबारी पहली मंजिल पर है। तिबारी में चार स्तम्भ हैं जो तीन ख्वाळ बनाते हैं।
तिबारी के सभी स्तम्भ पत्थर के छज्जे के ऊपर की देहरी के ऊपर चौकोर पत्थर के डौळ के ऊपर स्थापित हैं। स्तम्भ के आधार में उल्टे कमल दल से कुम्भी बनी है , कुम्भी के ऊपर ड्यूल हैं व ऊपर उर्घ्वगामी पदम् पुष्प दल है। यहां से स्तम्भ लौकी आकर धारण कर ले ऊपर बढ़ जाता है। जहां स्तम्भ की मोटाई सबसे कम है वहां से स्तम्भ ऊपर मुरिन्ड से थांत (Cricket Bat blade ) आकार धारण कर मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष से मिलता है। यहीं से मेहराब की अर्ध चाप भी शुरू होती है जो सामने के स्तम्भ के अर्ध चाप से मिलकर मेहराब बनता है। थांत के ऊपर छत आधार से दीवालगीर आते हैं। तिबारी के बगल में एक और बरामदा है जो चार साधारण स्तम्भों वाले दरवाजों से ढका है।
निष्कर्ष निकलता है कि थाती परकंडी ( उखीमठ , रुद्रप्रयाग ) में मालगुजार स्व . यशवंत सिंह भंडारी के भवन में ज्यामितीय , प्राकृतिक वा मानवीय अलंकरण कला अंकन हुआ है।
सूचना व फोटो आभार: महेंद्र सिंह बर्तवाल
* यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी। भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर के लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
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Traditional House wood Carving Art of Rudraprayag Garhwal Uttarakhand , Himalaya
रुद्रप्रयाग , गढवाल तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों, बाखलीयों ,खोली, कोटि बनाल ) में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण , नक्काशी श्रृंखला
गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) -
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