मयकोटी (रुद्रप्रयाग ) में स्व पीतांबर दत्त वशिष्ठ के भवन में गढवाली शैली की काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन अंकन,-
Traditional House wood Carving Art of Mayakoti , Rudraprayag :
गढ़वाल, कुमाऊँ,उत्तराखंड की भवन (तिबारी, निमदारी, बाखली , जंगलादार मकान ) में गढवाली शैली की काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन अंकन,- 348
संकलन - भीष्म कुकरेती
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रुद्रप्रयाग से भी अच्छी संख्या में गढ़वाली शैली में निर्मित काष्ठ कला युक्त भवनों की सूचना मिलती जाती रही है। इसी क्रम में आज मयकोटी (रुद्रप्रयाग ) के स्व पितांबर दत्त वशिष्ठ के गढ़वाली शैली के काष्ठ युक्त भवन में काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन अंकन पर चर्चा होगी।
दिवाकर चमोली से सूचना मिली कि भवन 150 वर्ष पुराना होगा। भवन दुपुर , दुखंड/दुघर/तिभित्या भवन है। वर्तमान में छत टीन है। भवन में काष्ठ कला दृष्टि से तिबारी ही महत्वपूर्ण है। तिबारी पहले पुर /तल में स्थापित है। तिबारी चार सिंगाड़ /स्तम्भ की है व तीन ख्वाळ की है। तिबारी के सिंगाड़ /स्तम्भ देहरी पत्थर के आधार पर टिके हैं। सिंगाड़ /स्तम्भ के आधार की कुम्भी /घट उलटे कमल फूल से निर्मित हुए हैं , कुम्भै के ऊपर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दलअंकन हुआ है। यहां से स्तम्भ लौकी आकार ले ऊपर बढ़ता है व जहाँ सबसे कम मोटाई है वहां अधोगामी पद्म पुष्प दल अंकित है जिसके ऊपर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर सीधा कमल दल है। यहां से स्तम्भ ऊपर की ओर थांत आकर ले ऊपर सिरदल से मिलता है। यहीं से अर्धचाप भी बनता है जो सामने के स्तम्भ के अर्ध चाप से मिलकर तोरणम निर्माण करते हैं। तोरणम के स्कंध में पुष्प व गुल्म पत्र का अंकन हुआ है। तिबारी का सिरदल सुडौल कड़ी (बौळी =स्लीपर नुमा ) से निर्मित है। इस कड़ी से प्रत्येक स्तम्भ के थांत के ऊपर
दीवालगीर प्रकट होते हैं। प्रत्येक दीवालगीर में पक्षी चोंच व हाथी सूंड दृष्टिगोचर होती है।
निष्कर्ष निकलता है कि मयकोटी (रुद्रप्रयाग ) में स्व पीतांबर दत्त वशिष्ठ के भवन में प्राकृतिक , ज्यामितीय कला अलंकरण अंकन हुआ है।
सूचना व फोटो आभार: दिवाकर चमोली
* यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी। भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर के लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
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