द्रव्युं विभिन्न प्रकार
चरक संहितौ सर्व प्रथम गढ़वळि अनुवाद
(महर्षि अग्निवेश व दृढ़बल प्रणीत )
खंड – १ सूत्रस्थानम , पैलो अध्याय बिटेन ६७ – ७६ तक
अनुवाद भाग - ९
अनुवादक - भीष्म कुकरेती
( अनुवादम ईरानी , इराकी अरबी शब्दों वर्जणो पुठ्याजोर )
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!!! म्यार गुरु श्री व बडाश्री स्व बलदेव प्रसाद कुकरेती तैं समर्पित !!!
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द्रव्य भेद -
द्रव्य तीन प्रकारै हूंदन – कुछ द्रव्य वात आदि दोषों शोधन व शमन करदन जन कि -तेल वायु कु , घी पित्त कु , शहद कफ कु शमन करदो । कुछ द्रव्य स्वास्थ्य रक्षण करदन, यी स्वस्थ अवस्था कुण हितकारी छन जन कि – लाल चौंळ , सांटी चौंळ , जीवन्ति शाक। ६७ I
द्रव्य पुनः तीन प्रकारै हूंदन – १- जंगम – प्राणियों से उतपन्न २- औद्भिद – परितवहि से उगण वळ वनस्पति ३ -पार्थिव /खनिज
जंगम द्रव्य – शहद , गोरस , दूध , घी आदि , पित्त , वासा , मज्जा , रक्त , मांस , विष्ठा, मूत्र , चर्म , वीर्य , अस्थि , स्नायु , सींग , नख, खुर , केश , रोम , आदि जंगम बिटेन लिए जांदन। ६८ -६९ ।
भौम द्रव्य -
स्वर्ण , स्वर्ण मल (शिलाजीत ), पांच लौह (सीसा , रांगा , ताम्बा , चांदी अर सिकता ) , बळु , चूना , पार्थिव विष , मनशिला, हरताल (मणि ) , गेरू , अंजन , यी पार्थव औषध छन। औद्भिद द्रव्य चार प्रकारै हूंदन – वनस्पति, वोरुत ,वानस्पत्य ,अर औषधि। ७० -७१ ।
जौंमा बिन पुष्प का फल आंदन वो वनस्पति छन जन – तिमल , बेडु , बौड़ आदि। जौंमा पुष्प अर फल द्वी आवन वो वानस्पत्य छन जन – आम , फळिन्ड आदि। जु फल आण पर नष्ट ह्वे जांदन वो औषध ह्वे जन ग्यूं -चौंळ आदि। जु लता जन फैलणा रौंदन वो विरुध ह्वे , जन गिलोय। ७२ ।
मूल , खाल/छाल, अंदरौ सार भाग (सार ), निर्यास – गोंद , नाळ , )स्वरस ), थींची/कूटिक द्रव्य से निकाळयूं रस, आम जामुन पत्ता (पल्लव ), दूध थॉर आदि (छार ), आदि क फल , पुष्प, भष्म , तैल , मिलायुं आदि, कांड ,पत्ता , शुंग , जु डा ळ पर हूंदन , कंद आदि औदभिद्धद हूंदन। ७३ ।
जौं वृक्षों मूल प्रयोग म आयी सकदन वो मूलिन ह्वे। इन वनस्पति सोळा छन। जौं वनस्पति फल काम ांदन वो फलनि छन अर उन्नीस छन। चार महासनेह -घी , तेल वसा , मज्जा। पांच प्रकारौ लूण , आठ प्रकारौ मूत्र अर आठ प्रकारौ दूध ,ार संशोधन हेतु छह वृक्ष पुनर्वसु आत्रेय न बताई। जु विद्वान् वैद्य रोगों म यूँ सब्युं प्रयोग करण जणदु ह्वावो वो आयुर्वेद तै भली भांति जणदु। ७४ , ७५ , ७६ ।
संदर्भ: कविराज अत्रिदेवजी गुप्त , भार्गव पुस्तकालय बनारस
सर्वाधिकार@ भीष्म कुकरेती (जसपुर गढ़वाल )
शेष अग्वाड़ी फाड़ीम
चरक संहिता कु एकमात्र विश्वसनीय गढ़वाली अनुवाद; चरक संहिता कु सर्वपर्थम गढ़वाली अनुवाद ;
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