उग्रता भाव अभिनय: उग्रता भावौ पाठ खिलण
गढवाल म खिल्यां नाटक आधारित उदाहरण
Performing Violence Sentiment in Garhwali Dramas
( इरानी , अरबी शब्दों क वर्जन प्रयत्न )
भरत नाट्य शास्त्र अध्याय – 6, 7 का : रस व भाव समीक्षा - 53
s = आधी अ
भरत नाट्य शास्त्र गढवाली अनुवाद आचार्य – भीष्म कुकरेती
तां च वधबंधननिर्भर्त्सनादिभिरनुभावै रभिनयेत।
भरत नाट्य शास्त्र अध्याय – ७, ८० कु परवर्ती गद्य
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गढ़वाली अनुवाद – -
उग्रता पाठ खिलणो कुण हत्त्या , बंधण , प्रताड़ित करण (पिटण , हल्ला करण ), अर काट /भर्त्सना करणो करतब दिखाये जांद।
व्याख्या -
चोर , डाकू , अपराधी, झूठ बुलण वळों पकड़े जाण पर ज्वा चित्तवृति हूंद वा उग्रता च। अपराधी तै मारो , कूटो , बुरी भली सुणायें जन इच्छा हूंदी। कबि कबि हत्त्या क ज्यू बि बुलयाँद होलु।
गढ़वाली म उग्रता भाव उदाहरण – - –
भीम बाजा नाच गाण म उग्रता भाव दर्शन -
बाला दैणी होई जैन तेरी
दैणी होई जैन त्यरी वा सौ मण कि गदा
परतिज्ञा को दानि बाला
सौ मन कि गदा वाला तेरी होली नौ मन कि ढाल
बाला जंगलूं जंगलूं बाला
भाबरु भाबरु तुमकू रै गेन भारत पियारा
डाल़ा को गोळ हिलैकी बाला
डाल़ा मा बैठयाँ कौरौ कि पटापट पतगे लगाई दिने
चांदी छैला चौक मा बाला
नौ खारी रीठों को मेरा जोधा पिसम्यल्लो बैण याल़े
सौ मन का गोला भीम रे जोधा
सर्ग चूलेने असी असमान अपतां फेंकने हाथी
पर मेरा बाला. भीमसेण जोधा
स्रोत्र ; अबोध बंधु बहुगुणा एवम डा शिवा नन्द नौटियाल
भरत नाट्य शास्त्र अनुवाद , व्याख्या सर्वाधिकार @ भीष्म कुकरेती मुम्बई
भरत नाट्य शास्त्रौ शेष भाग अग्वाड़ी अध्यायों मा
गढ़वाली काव्य म उग्रता भाव ; गढ़वाली नाटकों म उग्रता भाव ;गढ़वाली गद्य म उग्रता भाव ; गढवाली लोक कथाओं म उग्रता भाव
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