फलनि पादप अर ऊंक कर्म
चरक संहितौ सर्व प्रथम गढ़वळि अनुवाद
(महर्षि अग्निवेश व दृढ़बल प्रणीत )
खंड – १ सूत्रस्थानम , पैलो अध्याय ८१ बिटेन – ८५ तक
अनुवाद भाग - ११
अनुवादक - भीष्म कुकरेती
( अनुवादम ईरानी , इराकी अरबी शब्दों वर्जणो पुठ्याजोर )
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!!! म्यार गुरु श्री व बडाश्री स्व बलदेव प्रसाद कुकरेती तैं समर्पित !!!
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फलनी पादप -
शंखनी , बिडंग , त्रपुष (ककड़ी , खीरा ), मदन , आनूप क्लीतक, सतलज क्लीतक ,(मुलैठी ), धमर्गव ( बड़ी , तोरई ), इक्ष्वाकु, (कड़ी तोरई ), जीमूत , कृतवेधन (तोरई ) , प्रकीर्या व उदकीर्य्या , प्रत्यक पुष्पा , अभया , अन्तःकोटरपुष्पी , शारदा हस्तपर्णी , कम्पिल्ल्क, आरग्व ध , कुटज ये १९ फलनि वनस्पतियां छन। ८१ -८३
फलनि पादपों कर्म -
धामार्गव , इक्ष्वाकु , जामूत , अमलतास , मैनफल , कुड़े फल, खीरा , अर शरद हस्तपर्णी यी आठ शरद ऋतू क फल , उकाई/उल्टी , आस्थापन्न म अर निरुह करण चयेंद।
आपामार्गौ फल नस्य कर्मों म प्रयोग हूंद। अर शेष फलनियुं प्रयोग विरेचन कार्यों म करण चयेंद। ये प्रकार से १९ फलनि अर यूंक कर्म क बड़ा म बुले गे . ८४- ८५
संदर्भ: कविराज अत्रिदेवजी गुप्त , भार्गव पुस्तकालय बनारस
सर्वाधिकार@ भीष्म कुकरेती (जसपुर गढ़वाल )
शेष अग्वाड़ी फाड़ीम
चरक संहिता कु एकमात्र विश्वसनीय गढ़वाली अनुवाद; चरक संहिता कु सर्वपर्थम गढ़वाली अनुवाद ;
Fist-ever authentic Garhwali Translation of Charka Samhita, first-Ever Garhwali Translation of Charak Samhita by Agnivesh and Dridhbal, First ever Garhwali Translation of Charka Samhita. First-Ever Himalayan Language Translation of Charak Samhita
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