सुकरात कु पेरी पोएटिक्स कु गढ़वाली अनुवाद ( शब्दानुवाद )
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(ईरानी, अरबी उर्दू शब्दों क वर्जना को प्रयत्न करे गे )
[Garhwali Translation of Peri poietikes by Aristotle (on the Art of poetry )
Based on the Translation by INGRAM BYWATER (oxford 1920) ]
भाग - १
अनुवादक – भीष्म कुकरेती
( (ईरानी, अरबी उर्दू शब्दों क वर्जना को प्रयत्न करे गे )
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क्वी बि भाषा तब समग्र रूप म विकसित हूंद जब भाषाक साहित्य म बनि बनी प्रकार का साहित्य भंडार हो I एक साहित्य वो बि हूंद जु अन्तराष्ट्रीय स्तर का साहित्यकार , दार्शनिकों व आध्यामिक विचारकों ण रची हो . in विचारकों विचरो अनुवाद बि भाषा कुण आवश्यक हूंद . ये इ विषय तैं केंद्र म रखी मी इखम सुकरात का पेरी पोएटिक्स का गढवाली अनुवाद , Garhwali Translation of Peri poietik कु अनुवाद प्रस्तुत करणों छौन I तुम लोखुं प्रतिक्रिया आवश्क च . मैं पूरी आशा ch मी अपर उद्येश म सफल होलू .
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—-सुकरात परिचय -
यूनानी दार्शनिक सुकरात (३८४ – ३२२ BC ) प्लेटो क च्याला अर सिकंदरौ गुरु छौ। सुकरात को साहित्यिक रचनाओं म वै बगतौ यूनानौ राजनैतिक वातावरणो क्वी विशेष छाप नि मिलदी।
सुकरातौ साहित्य कार्य (पेरी पोएटिक्स ३३० BC ) म राजनीति विषय नी च। ये ग्रंथ कु कुछ इ भाग बच्यूं च या मील। काव्य सिद्धांत प्लेटो तैं उत्तर च। वास्तव म सुकरातौ कविता सिद्धांत वैको अपण च। पेरी पोएटिक्स वास्तव म नाटक सबंधित च।
— पेरी पोएटिक्स कु अनुवाद भाग १ -
हमर विषय कविता पोएट्री च। म्यार प्रस्ताव केवल साधारण रूपम कला से संबंधित नी च , अपितु यांक भौत सा उपश्रेणी अर ऊंको सक्यात /गुण पर बि : कथानकौ (muthos /plot ) संरचना कविता कुण आवश्यकता हूंद; कविता संरचनौ भागुं संख्या अर ऊंको प्रकृति; अर ये प्रकार से हौर विषय बि परखे जाल। आवा प्राकृतिक अनुक्रम तै दिखला अर पैल प्राथमिक तत्वों से शुरू करला।
महाकाव्य , त्रासदी , अर प्रहसन )कॉमेडी ) देव पूजा कविता बि , रौद्र स्तोत्र , विलाप जन सब छन , जु समग्र रूप से दिखे जाल, यी सब अनुकरण ( mimesis नाटक ) का साधन छन। ,अर दगड़म यी यी एक हैंक से तीन प्रकार से अलग छन, या तो अर्थ कु कारण विशेष /अलग छन या उद्देश्य का कारण विशेष / अलग छन या अनुरकरण से विशेष /अलग ह्वे जांदन।
जन कुछ रूप (form ) अर रंग तै साधन बणांदन , जु यूंको सहायता से अनुकरण ( नाटक , नकल करदन ) , या चित्रांकन करदन ,अर कुछ ध्वनि प्रयोग करदन; मथ्याक कला समोहः म बि , समग्र रूप से ऊंको साधन छन पद्य (rhymes ), भाषा अर राग (melody ) , यद्यपि इखुलि या दगड़ /जुंटा म। पद्य अर राग कु दगुड़ पाइप प्लेइंग कु साधन च अर गीत गाण या हौर कला बि ह्वे सकदन , उदाहरणार्थ अनुकरण वळ बांसुरी वादन। रागहीन पद्य नचाड़ कुण अनुकरणीय हूंद; इख तलक कि वेक व्यवहारौ तरंग, लोगुं स्वभावो प्रतिनिधित्व करद , इख तलक कि वु क्या करदन अर ऊंको दुःख (बि ) I यांसे अगनै , एक इन कला बि च जु केवल भाषा से इ अनुकरणीय )नकल ) हूंद , बिना राग का ,पद्य या गद्यम, अर जु कविता रुपम च त , कै क्वी एक रुपम या कई मीटरुं म । , यी अनुरक्त कला को आज क्वी नाम नी च (संभवतया तब यूनान म स्वांग या नाटक नाम नि छौ। )
हाँ अंतम , कुछ ऑवर कला छन जखम तुकबंदी वळ पद्य /rhymes, राग /melody अर कविताओं /verses प्रयोग करे जांद। अर्थात हमम उद्धत /dithyrambic अर आर्थिक।/नोमिक कविता, त्रासदी/tregedy , प्रहसन /comedy छन; विशेषता का दगड़ , तथापि, यी तीन प्रकारौ साधन कुछ स्थलों म इकदगड़ी , कुछ स्थलुं म अलग अलग, एक का पश्चात हैंक प्रयोग हूंदन। यी तत्व मथ्याक कलाउं म अलग हूंदन म्यर अर्थ च नकल /स्वांग / imitation करदा दैं
शेष अग्वाड़ी भागम
सर्वाधिकार @ भीष्म कुकरेती २०२१
First Authentic Garhwali Translation of Peri Poetikses by Aristotle, First Ever Translation of Peri Poetikses by Aristotle in Garhwali Language; First Ever Garhwali Translation of a Greece Classics; गढ़वाली भाषा में प्रथम बार सुकरात /अरिस्टोटल के पेरी पोएटिक्स का सुगढ़ अनुवाद , यूनानी साहित्य का प्रथम बार गढ़वाली में अनुवाद ,
Thank You