अरस्तु कु पेरी पोएटिक्स कु गढ़वाली अनुवाद ( शब्दानुवाद ) भाग – ३
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(ईरानी, अरबी उर्दू शब्दों क वर्जना को प्रयत्न करे गे )
[Garhwali Translation of Peri poietikes by Aristotle (on the Art of poetry )
Based on the Translation by INGRAM BYWATER (oxford 1920) ]
अनुवादक – भीष्म कुकरेती
( (ईरानी, अरबी उर्दू शब्दों क वर्जना को प्रयत्न करे गे )
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यूं कलाओं म एक तिसर भिन्नता बि हूंद , शैली जैमा कला उद्देश्य प्रतिनिधित्व हूंद। एक इ साधन अर अनुकरण कुण एकि उद्देश्य हूण पर या तो कथा द्वारा या चरित्र उदाहरण से व्यक्त कर सकद जन कि होमर करद , या सब स्थलों म बिन परिवर्तन कु एक सामान रावो या अनुकरणकर्ता /रचनाकार सरा कथा तैं नाटकीय रूप म बताई /प्रतिनिधत्व सकद जन बुल्यां यि सच्ची ह्वे ह्वावन।
जनकि पैली बतै याल बल , इलै , यूं अनुकरणों म यी तीन भेद /विशेषता हूंदन – ऊंको साधन , ऊंको उद्देश्य अर ऊंकी शैली।
अतः , अनुकरणकर्ता (रचनाकार) रूपमा एक ओर सोफ़ोकलस च अर दुसर ओर होमर , द्वी भला लोगन चित्रण करदन , अर दुसर ओर अरिस्टोफोन्स च , चूंकि द्वी अपण चरित्रों तै इन प्रस्तुत करणा छा जन पाठ खिलण हो /ऐक्टिंग हो अर कर्म। वास्तवम, कुछुं अनुसार यो इ कारण च बल क्रीड़ा तेन स्वांग /ड्रामा बुले जांद, किलैकि प्ले म चरित्र कथा म जीवित हूंदन। (charcters atc the story ) I . इलै ग्र्रीक का द्वी डोरियन्स ट्रेजिडी अर कॉमेडी अपण अन्वेषण बुल्दन तो मेगारियन कामदी पर स्वत्व बथान्दन , मेगारियन सिसिलियन मेगारियन से अलग प्रजातन्त्री खंड ह्वे , अर ऊँन बोली बल कवि इपीकारमस ऊंको देस कु च जु चिओनाइड्स अर मैग्नेस से पैल छा; इख तलक कि कुछ पेलेपोन्नेसिई डोरियन्स बि त्रासदी पर स्वत्व बथांदन। अपण समर्थन म सि लोक बुल्दन बल सि दूरस्थ गाँव कुण ‘कोमायी ‘ (komai ) बुल्दन , जब कि ऐंथस वळ ‘डेमेस (demes, demoi ) बुल्दन , अर्थात प्रहसन कवि तै komoi से नाम नि मील , अपितु एक गांव से हैं गांव परिभ्र्रमण से मील, सि अभिनय (act ) कुण ‘ड्रान ‘ (dran, प्रहसन करण ) बुल्दन तो एथेंस वळ प्राटेन (prattein, ) बुल्दन।
संख्या व प्रकृति अनुसार अनुकरण म भौत भेद हूंदन।
शेष अग्वाड़ी भाग – ४ म
सर्वाधिकार @ भीष्म कुकरेती २०२१
First Authentic Garhwali Translation of Peri Poetikses by Aristotle, First Ever Translation of Peri Poetikses by Aristotle in Garhwali Language., First Ever Garhwali Translation of a Greece Classics; गढ़वाली भाषा में प्रथम बार अरस्तु /अरिस्टोटल के पेरी पोएटिक्स का सुगढ़ अनुवाद , यूनानी साहित्य का प्रथम बार गढ़वाली में अनुवाद , एक या तो
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