कोटि बनाल (जौनसार , देहरादून ) के रावत परिवार के जंगलेदार, तिबारीयुक्त भवन (संख्या 3 ) पारम्परिक गढ़वाली शैली के ’काठ लछ्याणौ , कुर्याणौ पाड़ी ब्यूंत’ की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन
गढ़वाल, कुमाऊँ , के भवन ( कोटि बनाल , तिबारी , बाखली , निमदारी) में पारम्परिक गढ़वाली शैली के ’काठ लछ्याणौ , कुर्याणौ पाड़ी ब्यूंत’ की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन -417
Traditional House wood Carving art of , Koti Banal , Jaunsar , Dehradun
संकलन – भीष्म कुकरेती
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कोटि बनाल से दिनेश रावत ने रावत परिवार के कई भवनों की सूची व छायाचित्र भेजी हैं जिसमें काष्ठ कला व काष्ठ कला शैली के उत्कृष्ट उदाहरण मिलते हैं।
आज कोटि बनाल (जौनसार , देहरादून ) के रावत परिवार के जंगलेदार तिबारी युक्त भवन (संख्या 3 ) पारम्परिक गढ़वाली शैली के ’काठ लछ्याणौ , कुर्याणौ पाड़ी ब्यूंत’ की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन पर चर्चा होगी। प्रस्तुत भवन दुपुर , दुघर है व जौनसारी व रवाईं के पारम्परिक भवनों से कुछ भिन्न है कि भवन पिरामिड नुमा आकर में न हो पारम्परिक गढ़वाली जंगलेदार भवन जैसा ही है।
भवन में भ्यूंतल में तोरणम युक्त कक्ष हैं जो संभवतया गौशाला या भंडार हेतु संरक्षित हैं। भ्युं तल में काष्ठ कला में ज्यामितीय कटान से कटी पट्टियों /पटिलों /कड़ियों का प्रयोग हुआ है। पहले तल में भवन में दो प्रकार की काष्ठ कला शैली के दर्शन होते हैं। एक पहले तल में बरामदे पर तिबारी स्थापित हुयी है व बाहर तिबारी के बाएं ओर जंगल बंधा है।
तिबारी चार पारम्परिक गढ़वाली शैली के सिंगाड़ों /स्तम्भों से निर्मित है। सिंगाड के आधार में ाधगामी पद्म पुष्प , इसके ऊपर ड्यूल, ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल का अंकन /उत्कीर्णन से कुम्भियाँ निर्मित हुयी है व कुछ ऊपर जाकर स्तम्भ में यही कला उत्कीर्णन (कंडल दलों का उत्कीर्णन ) दुहरायी गयी है। ऊपरी कमल दल से स्तम्भ थांत आकर धारण कर ऊपर मुरिन्ड /मथिण्ड header की कड़ी से मिल जाता है। यहीं से स्तम्भों में तोरणम के अर्ध चाप निकलते हैं व तोरणम निर्माण करते हैं। तोरणम स्कन्धों में प्राकृतिक काष्ठ अंकन के चिन्ह स्पष्ट दीखते हैं।
तिबारी के बायें ओर पाषाण छज्जे के ऊपर जंगल बंधा है। जंगल के स्तम्भ, रेलिन्ह कड़ियों व कड़ियों, उप कड़ियों में व उप स्तम्भों में ज्यामितीय कटान से निर्मित सपाट कला दर्शन होते हैं।
निष्कर्ष निकलता है कि कोटि बनाल (जौनसार , देहरादून ) के रावत परिवार के जंगलेदार, तिबारीयुक्त भवन (संख्या 3 ) में ज्यामितीय व प्राकृतिक कला अलंकरण उत्कीर्णन हुआ है। भवन आम जौनसारी भवन से कुछ भिन्न है व पूरबी गढ़वाल के भवनों जैसे हैं।
सूचना व फोटो आभार : दिनेश रावत
यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
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