चकराता (देहरादून ) के एक भवन (१ ) में पारम्परिक गढ़वाली शैली की काठ कुर्याण की काष्ठ कला,अलंकरण
Traditional House wood Carving Art of a House Chakrata , Dehradun
गढ़वाल,कुमाऊ के भवन(तिबारी,निमदारी, जंगलादार मकान,बाखली,खोली,छाज कोटि बनाल ) में पारम्परिक गढ़वाली शैली की काठ कुर्याण की काष्ठ कला,अलंकरण- 447
संकलन – भीष्म कुकरेती
जौनसार पारम्परिक काष्ठ कलयुक्त भवनों हेतु प्रसिद्ध क्षेत्र रहा है। जौनसार व उत्तरकाशी के भवन काष्ठ कला उत्कीर्णन हेतु नहीं जाने जाते अपितु ज्यामितीय कटान का सपाट शैली हेतु जाना जाता है।
प्रस्तुत चकराता (देहरादून ) का एक भवन (१ ) दुपुर व दुखंड है। प्रस्तुत बहन का महत्व काष्ठ कला उत्कीर्र्ण हेतु महत्व नहीं है अपितु शैली हेतु महत्व है।
भवन के भ्यूंतल (Ground floor ) में भवन दीवालें गारे पत्थर मिट्टी की हैं व बरामदे के बाह्य ओर ५ से ऊपर स्पॉट चौखट स्तम्भ हैं। ये स्तम्भ ऊपर पहले माले के आधार कड़ी /बौळी से मिलते हैं। भ्यूं तल में कक्षों के द्वार सपाट हैं। दुसरे नव भवन में भी काष्ठ कला सपाट ज्यामितीय कटान की है।
भवन के पहले तल में सामने की और मिटटी पत्थर की दिवार दृष्टिगोचर नहीं होती अपितु दिवार सपाट काष्ठ पत्तियों /तख्तों से निर्मित हुयी हैं जो जौनसार व उत्तरकाशी , नीति आदि क्षेत्रों का आदि कालीन भवन कला के उदाहरण हैं। द्वारों में भी सपाट ज्यामितीय कटान की ही कला है।
निष्कर्ष निकलता है कि चकराता (देहरादून ) के एक भवन (१ ) में ज्यामितीय कटान की ही काष्ठ कला उपस्थित है।
सूचना व फोटो आभार: Chakrata the heart of Jaunsar
* यह आलेख भवन कला अंकन संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी। भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर के लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
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Traditional House wood Carving Art of Dehradun, Garhwal Uttarakhand, Himalaya to be continued
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