मानसिक तनाव से दूर रौणै विधि
संहितौ सर्व प्रथम गढ़वळि अनुवाद
खंड – १ सूत्रस्थानम , अटों अध्याय ((इन्द्रियोपक्रमणीय ) पद २८ बिटेन – तक
अनुवाद भाग - ६७
गढ़वालीम सर्वाधिक अनुवाद करण वळ अनुवादक – आचार्य भीष्म कुकरेती
( अनुवादम ईरानी , इराकी अरबी शब्दों वर्जणो पुठ्याजोर )
-
!!! म्यार गुरु श्री व बडाश्री स्व बलदेव प्रसाद कुकरेती तैं समर्पित !!!
–
भौत अधीर नि हूण , भौत उछदि /उच्छृंखल नि हूण। सेवकों पोषण करण। अपण लोखुं , घरवळों पर अविश्वास नि करण। इखुलि सुख नि भुगुण। इखुलि मिठि वस्तु नि खाण। स्वाभाविक व्यवहार ,आचार ,उपचार (वस्त्र फैशन आदि ) म दुखी मनिख जन नि रौण,सभ्य , सौम्य बणि रौण । सब स्थलों म सब पर विश्वास नि करण, सब पर अविश्वास नि करण अर सब्युं पर संदेह बि नि करण। सब समय सुचण अर विचारण म इ नि रौण। कार्यो समय क उललंघन नि करण। अज्ञात स्थल म नि बैठण , नि जाण। इन्द्रियों बसम नि हूण। चंचल मन इना उना नि घुमाण। बुद्धि अर ज्ञानेन्द्रियों पर बिंडनि भार नि दीण। अधिक विषय सेवन नि करण। बिलम्ब से कार्य करण वळ नि बणो। जथगा क्रोध आयी उथगा उग्र कर्म नि करण भैरों। अर जथगा प्र्स्सन्न्ता हो उथगा प्रसन्नता नि मनाण। बिंडी शोक अर दुःखौ बस म नि हूण। कार्य म सफलता म भौत प्रसन्न नि हूण। असफलता मिलण पर मुख दीन , उदासीन नि रखण। बार बार प्रकृति नियम (जन्म -मोरण ) ध्यान म रखण। शुभ कारण से कार्य शुरू करण चयेंद। इथगा कर याल तो बस ह्वे गे अर बैठ नि जाण। पराक्रम /ऊर्जा नि छुड़न अर िन्दा याद नि करण। २८।
*संवैधानिक चेतावनी: चरक संहिता पौढ़ी थैला छाप वैद्य नि बणिन , अधिकृत वैद्य कु परामर्श अवश्य
संदर्भ: कविराज अत्रिदेवजी गुप्त , भार्गव पुस्तकालय बनारस ,पृष्ठ ११७ ब्रिटेन तक
सर्वाधिकार@ भीष्म कुकरेती (जसपुर गढ़वाल ) 2021
शेष अग्वाड़ी फाड़ीम
चरक संहिता कु एकमात्र विश्वसनीय गढ़वाली अनुवाद; चरक संहिता कु सर्वपर्थम गढ़वाली अनुवाद; ढांगू वळक चरक सहिता क गढवाली अनुवाद , चरक संहिता म रोग निदान , आयुर्वेदम रोग निदान , चरक संहिता क्वाथ निर्माण गढवाली
Fist-ever authentic Garhwali Translation of Charaka Samhita, First-Ever Garhwali Translation of Charaka Samhita by Agnivesh and Dridhbal, First ever Garhwali Translation of Charka Samhita. First-Ever Himalayan Language Translation of Charaka Samhita
Thank You